मंगलवार, 8 नवंबर 2011

तो गजल हुई


....
और भोर भी लाली लगी मलने ,तो गज़ल हुई.






वो आए जब मुझ से मिलने ,तो गज़ल हुई;
मचले अरमां महके सपने ,तो गज़ल हुई.
'मखमल' रेशम से ख्वाब सुहाने सच हों जब ;
जब सूरत परी लगे सजने ;तो गज़ल हुई.
वो दिल के तार को छू ,गुज़रे आहिस्ता से ;
सरगम सांसों में लगी बजने  ;तो गज़ल हुई.

वो तारा पिछले पहर का भी जब विदा हुआ ;
आगोश से उठ वो लगे चलने ,तो गज़ल हुई.
जब दीवट पर रात से जलता दीप 'बढ़ा ';
और भोर भी लाली लगी मलने ,तो गज़ल हुई.


deepzirvi