गुरुवार, 15 दिसंबर 2011

यह जाम तुम्हारी आँखों के..


यह जाम तुम्हारी आँखों के ,वह जाम उठाने न देते ;
तेरे गेसू तेरी चितवन ,मयखाने जाने न देते .

वो मादक मोहक अंगड़ाई ,जब हाथ उठा कर लेते हो ;
तन-मन पर जादू  छा जाए , यह तन-मन होश गंवा लेते .

मखमल से कोमल 'तन -मांसल ',और मन 'अतिकोमल भाव 'सा है ;
मैं जाम उठाऊँ भी तो क्या ,ये होश में आने न देते .


मयखाना मेरे पहलू में ,तो मैं मयखाने क्यों जाऊं
जिनको जाना हो वो जाएँ ,हम उनको ताने न देते 
दीप जीरवी
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