गुरुवार, 15 दिसंबर 2011

रात आप सपने में आए ;

 

रात आप सपने में आए ;
पलकों की कुटिया के नीचे
रखा आप को गले लगाए
रात आप सपने में आए.

-०-०-०-०-०-
आप थे ,मैं था,सांवली चुप थी
रात सलोनी सी गुपचुप थी ;
रात गई कर तारा तारा

आप में हम तो रहे समाए 
रात आप सपने में आए ;

-०-०-०-०-०--०-०-
पूनम रात में पूनम चाँद ही
था पहलू में मेरे लेटा
बदल ओट से पूनम चाँद ने
मेरे पूनम चाँद को देखा ;
देखा ,देख देख शर्माए
रात आप सपने में आए ;

-०-०-०-०-०-०-०-
 चन्दन चन्दन सब मनभावन
कंचन कंचन बदन सुहावन
तन कंचन व् मन चन्दन सा
सुकुचाते से तुम थे आए
रात आप सपने में आए ;
-०-०-०-०-०-०-०-
दीप जीरवी