शुक्रवार, 2 सितंबर 2011

एक नया इतिहास बनाना लगता है

जागा जागा दर्द, सुहाना लगता है

आया वो ही याद जमाना लगता है .
कुछ लोगों को शाम सुहानी लगती है

मुझ जैसों को चाँद पुराना लगता है .

आग जिगर की लगते लगते लग जाती ,

बुझते बुझते एक जमाना लगता है .

खुशीओं का जमघट जमघट सा दीखता है

शायद फिर से गम को आना लगता है

मन उपवन सूना सूना सा रहता है

मरघट मन को बड़ा सुहाना लगता है .



दिल धडकन के साथ लड़ाई करता है ;

दिल,मुझसा ही कोई दीवाना लगता है .



मछली सागर छोड़; गई सहराओं में,

एक नया  इतिहास बनाना लगता है .
दीप जीरवी